एक अरसा बीत गया है .....
एक अरसा बीत गया है, तपिश गई नहीं है मेरे माथे से
सोचकर सोइ , की कल सुनहरा दिन है तुम्हारा
सुबह सबसे पहले मुझे छुओगे
तो मेरा दिन सुनहरा हो जायेगा ,
सूरज से पहले जाएगी थी , बुखार का बहाना बनाया था
पर कम्बख्त अखबार मुझसे पहले आ गया दुनिया जहां की खबरें लेकर …
एक अरसा बीत गया है , वो आवाज़ अब तक गूँज रही है कानो में
ग्यारह महीनो में तीसरी बार मुझे मेरे नाम से पुकारा था तुमने
वैसे लोग कहते रहते हैं , नाम ख़ूबसूरत है मेरा
पर जब तुम से सुनती हु तो लोगों की बातों पर यकीन आता है ..
एक अरसा बीत गया है , वो मुस्कान धुंधली नहीं हुई है आँखों से ..
तुम्हे पता नहीं है शायद , कोशिश जरूर करते हो
पर छुपा नहीं पाते हो अपनी मुस्कराहट
कम्बख्त लम्बी इतनी है , की मुँह फ्लो फिर भी दिख जाती है …
एक अरसा बीत गया है तपिश गई नहीं है
मेरे माथे से , मेरे कानो से , मेरी आँखों से ..
एक अरसा बीत गया है ….
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