एक यादों का पुलिंदा है या माँ तू अब भी ज़िंदा है़ ।
मेरे बनाए खाने में तेरे हाथों का स्वाद है जो कुछ सिखाया तूने, मुझे आज भी याद है।
तेरे चले जाने के बाद वो कपड़े बांट लिए हमनेहमसे सब छीना तेरी खुशबू नहीं छीनी ग़म ने ।
मेरे सो जाने के बाद भी, जो इन बांलों को सहलाती थींवो उँगलियाँ आज भी मुझे रातों को छू जातीं हैं ।
जब एक त्योहार पर तुम सा श़ृंगार किया आईने में, तुम्हारी ही छब का दीदार किया ।
मेरी हर बात में , तेरी ही आवाज़ हैमेरे हर काम में तेरा ही एहसास है ।
ना ख्वाब, ना ख्याल, ना यादों का पुलिंदा है
मेरी माँ तू
"मुझ" में जिंदा है ।