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Tuesday, November 22, 2011

सवाल

कुछ  सौ  दो  सौ  लोग  रहे  होंगे  
आखें  सिर्फ  तुम्हे  ढूंढ  रही  थी  … देखना  चाहती  थी  शायद  …

तुम्हारी  आवाज़  तक   सुने  …9 महीने  हो  चुके  थे  ….
दिख  जाना  तोह  …जैसे  बड़ी  हसरत  का  पूरा  हो  जाना  था 

तुम्हे  ढून्ढ  ऐसे  रही  थी  जैसे ….
दिख  जाओगे  तो  पता  नहीं  …कितने  जन्मो  की  कहानी  कह  देंगी 

बड़े  सारे  लोग  आये, सजे  धजे , खुशरंग ,
पास  वाले  गाओं  से , दूर  शहर  से … तुम  ही  नहीं  नज़र  आये 

आँखों  को  मज़ा  तब  ही  तक  आया 
जब  तक  जो  चाहिए वो  नहीं  मिला  ….

और  तुम  जब  दिखे  ..मैंने  मुँह  फेर  लिया 
क्यों  ढूंढ  रही  थी  तुमको  …जब  देखकर ... अनदेखा  ही  करना  था  …




1 comment:

farid said...

ek khubsoorat sawal, yadein hum bhoolna bhi chahte hain aur hamesha yaad bhi rakhna chahte hain