दो पेड़ों की शाखों की परछाइयां एक दूसरे को छू रही हैं जिस आँगन में हम मिलेंगे जरूर
बस वहीँ उसी गाँव के कोने वाले मकान के आँगन में
दो जुदा लहरें आकर एक छोटी सफ़ेद सीपी को साथ ले जाती है गहराइयों में , उस समंदर में ,
ना झील में , ना ही झरनो में , उसी समंदर में हम मिलेंगे जरूर
इंद्रधनुष जहाँ अपने रंग आसमान से जमीन पर उतारेगा फिर सारे रंग बिखर जायेंगे जहाँ
वहीँ , उसी रंगीन फ़िज़ा में हम मिलेंगे जरूर
सारे ख्वाब, मतलब सारे के सारे ख्वाब, मुक्कमल होते हैं जिस जहाँ में उसी मकान ,
उसी जमीन, उसी जहाँ , उसी दुआ, में हम मिलेंगे जरूर