Powered By Blogger

Thursday, May 12, 2022

हम मिलेंगे जरूर

 

  दो पेड़ों  की  शाखों  की  परछाइयां  एक  दूसरे  को  छू  रही  हैं  जिस  आँगन में  हम  मिलेंगे  जरूर 

  बस  वहीँ  उसी  गाँव के  कोने  वाले  मकान  के  आँगन  में 


दो  जुदा लहरें  आकर  एक  छोटी  सफ़ेद  सीपी  को  साथ  ले  जाती  है  गहराइयों  में , उस समंदर  में , 

ना झील  में  , ना  ही  झरनो में  ,  उसी  समंदर  में  हम  मिलेंगे  जरूर 


इंद्रधनुष  जहाँ  अपने  रंग  आसमान  से  जमीन  पर  उतारेगा  फिर  सारे  रंग  बिखर  जायेंगे  जहाँ

 वहीँ ,  उसी  रंगीन  फ़िज़ा  में  हम  मिलेंगे  जरूर 


सारे  ख्वाब, मतलब  सारे  के  सारे  ख्वाब, मुक्कमल  होते  हैं  जिस  जहाँ  में  उसी  मकान , 

उसी  जमीन,  उसी  जहाँ , उसी  दुआ,  में  हम  मिलेंगे  जरूर 

No comments: